बुधवार, 2 जनवरी 2013

चिंतन ....

तर्क यदि जिज्ञासा से हो तो कई संभावित अर्थ निकलते हैं,
पर मात्र बहस मात्र से पहला अर्थ भरा अंश भी नष्ट हो जाता है !!!

- रश्मि प्रभा

4 टिप्‍पणियां:

  1. जिज्ञासा ...करता हूँ ..अखबारों मे ,दूरदर्शन में हो रहे बहसों को सुनता हूँ
    तब प्रथम सारगर्भित अंश से बहुत दूर निकल आये है ऐसा लगता हैं
    शब्द से बने सुविचार कुछ लोगो तक ही सिमित रह जाते है
    जिनका जिज्ञासा से ,तर्कों से ,शब्दों से कोई सम्बन्ध नहीं है ..
    उनकी संख्या ..ऐसे सिमित लोगों की तुलना मे ...ज्यादा हैं
    आपने जो कहा हैं वह सही हैं /

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  2. तर्क बिना विषय का पूर्ण मंथन नहीं हो सकता ,पर तर्क का सार्थक होना भी आवश्यक है,तर्क करने के लिए ,या अपनी बात को उचित सिद्ध करने के लिए किया तर्क नकारात्मक सोच कहलायेगा,और नकारात्माक्ता मनुष्य को उजाले से अँधेरे में ले जाता है.

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आपके आगमन का आभार ...सदा द्वारा ...